Pong Dam निर्माण के समय 24310 परिवार विस्थापित हुए थे। इनमें से 16100 परिवार भू मालिक थे, जबकि अन्य भूमिहीन थे। पंजाब व राजस्थान को बसाने के लिए मिनी पंजाब के नाम से मशहूर हल्दून को उजाड़ा गया है।
पोंग बांध: हिमाचल प्रदेश की मिट्टी से बनी विशालकाय संरचना
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित पोंग बांध (Pong Dam) एक महत्वपूर्ण जलाशय है, जिसका निर्माण ब्यास नदी पर किया गया है। इस बांध का प्रस्ताव सबसे पहले 1926 में रखा गया था, लेकिन वास्तविक निर्माण कार्य 1961 में शुरू हुआ और 1974 में इसे पूरा किया गया। विशेष बात यह है कि इस बांध का निर्माण मुख्यतः मिट्टी और पत्थरों से किया गया है, जिससे यह देश के सबसे ऊंचे मिट्टी से बने बांधों में से एक है।
पोंग बांध की विशेषताएं
ऊंचाई: समुद्र तल से 1,430 फीट (436 मीटर)
लंबाई: 6,401 फीट (1,951 मीटर)
चौड़ाई: शिखर पर 45 फीट (13.72 मीटर) और आधार पर 2,001 फीट (610 मीटर)
जल संग्रहण क्षमता: 3.55 करोड़ क्यूबिक मीटर
विद्युत उत्पादन क्षमता: कुल 396 मेगावाट (6 x 66 मेगावाट)
विस्थापन और प्रभाव
पोंग बांध के निर्माण के दौरान, लगभग 24,310 परिवारों को विस्थापित होना पड़ा, जिनमें से 16,100 परिवार भूमिधारक थे। इस परियोजना ने कई गांवों और कस्बों को प्रभावित किया, जिससे स्थानीय जनसंख्या को अपने घरों और जमीनों से विस्थापित होना पड़ा।
वर्तमान महत्व
आज, पोंग बांध न केवल सिंचाई और बिजली उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, बल्कि यह एक प्रमुख वन्यजीव अभयारण्य और रामसर साइट के रूप में भी जाना जाता है, जो विभिन्न पक्षी प्रजातियों और जैव विविधता का संरक्षण करता है।
पोंग बांध हिमाचल प्रदेश की एक महत्वपूर्ण संरचना है, जो राज्य की जल, ऊर्जा और पारिस्थितिकी में महत्वपूर्ण योगदान देती है।