संस्कृत भाषा का अपमान सहन नहीं, डीएमके नेता दयानिधि के बयान पर संस्कृत शिक्षक परिषद में रोष

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डीएमके नेता दयानिधि मारन द्वारा संस्कृत भाषा के खिलाफ दिए गए बयान को लेकर संस्कृत शिक्षक परिषद ने कड़ा विरोध जताया है। परिषद ने इस बयान को संस्कृत के अपमान के रूप में लिया और इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। जानिए इस मुद्दे पर परिषद का क्या कहना है और यह बयान क्यों विवादों में है।

संस्कृत भाषा के खिलाफ दिए गए बयान की परिषद ने की निंदा

हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद( Himachal Pradesh Sanskrit Teachers’ Council) ने डीएमके नेता दयानिधि मारन द्वारा संस्कृत भाषा के खिलाफ दिए गए अपमानजनक बयान की कड़ी आलोचना की। परिषद के नेताओं ने इसे भारतीय संस्कृति और परंपरा पर हमला बताया है।

संस्कृत भारतीय ज्ञान परंपरा की आत्मा

परिषद के सदस्य और प्रदेशाध्यक्ष डा. मनोज शैल ने कहा कि संस्कृत केवल भारत की प्राचीनतम भाषा ही नहीं, बल्कि यह विश्वभर में ज्ञान, विज्ञान, आयुर्वेद, गणित, योग, और साहित्य की नींव है। इसे अपमानित करना भारतीय अस्मिता का अपमान है।

सरकार से उचित कार्रवाई की मांग

परिषद ने सरकार से यह मांग की है कि संस्कृत भाषा का अनादर करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और भारतीय भाषाओं के संरक्षण और प्रसार के लिए ठोस नीतियां बनाई जाएं।

संस्कृत शिक्षक परिषद के नेताओं ने जताई प्रतिक्रिया

हिमाचल प्रदेश के संस्कृत शिक्षक परिषद के विभिन्न प्रमुख नेताओं जैसे डा. अमित शर्मा (Dr. Amit Sharma), डा. सुशील शर्मा, और अन्य ने भी इस बयान पर अपनी चिंता जताई और संस्कृत को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करने की बात कही।

भारतीय संस्कृति और सभ्यता की रक्षा की अपील

संस्कृत शिक्षक परिषद ने कहा कि संस्कृत भारतीय सभ्यता और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, और इसे लेकर किसी भी प्रकार का विवाद भारत की सांस्कृतिक धरोहर के लिए हानिकारक हो सकता है।

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