पानी से बिजली बनाने वाली ऊर्जा कंपनी एनएचपीसी द्वारा कुल्लू जिला में बनाया गया इंजीनियरिंग का आठवां अजूबा बिलकुल तैयार है।
एशिया की सबसे लंबी सुरंग का अंतिम गेट बंद कर दिया गया है। 25 साल की मेहनत के बाद मनिहार नाले के पानी से हेड रेस टनल को भरने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जानिए इस ऐतिहासिक प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी।
एशिया की सबसे लंबी सुरंग का अंतिम गेट बंद
कुल्लू जिले में एनएचपीसी (NHPC) द्वारा निर्मित एशिया की सबसे लंबी हाइड्रो टनल (Hydro Tunnel) का अंतिम गेट बंद कर दिया गया है। इस टनल को बनाने में 25 साल लगे हैं। अब इसे मनिहार नाले (Manihar Stream) के पानी से भरने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इससे कुल्लू में ऊर्जा उत्पादन के एक नए युग की शुरुआत होने जा रही है।
800 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य
पार्वती प्रोजेक्ट के तहत इस 32 किलोमीटर लंबी हेड रेस टनल (Head Race Tunnel) से 800 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। एनएचपीसी ने होली उत्सव के बाद प्रोजेक्ट के दूसरे चरण के ट्रायल की योजना तैयार कर ली है।
माइनस डिग्री तापमान में हुआ निर्माण
यह सुरंग माइनस डिग्री तापमान (Sub-Zero Temperature) में तैयार की गई है। मजदूर यूनियन एटक (AITUC) के नेता ओम प्रकाश शर्मा के अनुसार, खुदाई के कार्य को पूरा करना बेहद चुनौतीपूर्ण था, लेकिन इंजीनियरों और मजदूरों ने हार नहीं मानी।
एनएचपीसी को नवरत्न का दर्जा
भारत सरकार से नवरत्न (Navratna) का दर्जा प्राप्त एनएचपीसी ने इस प्रोजेक्ट के लिए वैश्विक स्तर पर पहचान बनाई है। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में TVM मशीन ने पिछले दस वर्षों में अहम भूमिका निभाई है।
ऐतिहासिक उपलब्धि
यह प्रोजेक्ट न केवल भारत बल्कि पूरे एशिया के लिए ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इससे हिमाचल प्रदेश को ऊर्जा क्षेत्र में बड़ी सफलता मिलेगी और राज्य की आर्थिक स्थिति को भी मजबूती मिलेगी।