हिमाचल प्रदेश में 20 करोड़ रुपये के बैंक ऋण घोटाले का खुलासा हुआ है। जांच में बैंक अधिकारियों की लापरवाही उजागर हुई, जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों पर लोन स्वीकृत किए।
बैंक खाते के NPA होने पर भी लोन जारी
विजिलेंस जांच में खुलासा हुआ है कि बैंक खाते के NPA (Non-Performing Asset) होने के बावजूद लोन की राशि जारी कर दी गई। यह बैंक अधिकारियों की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है। अब विजिलेंस टीम उन बैंक अधिकारियों पर कार्रवाई कर सकती है, जिन्होंने लापरवाही बरती।
बैंक निदेशक मंडल के पूर्व सदस्यों की जांच
KCC बैंक लोन घोटाले में बैंक के निदेशक मंडल के पूर्व सदस्यों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। विजिलेंस अधिकारियों की टीम उनसे पूछताछ कर रही है। इसके अलावा, ऊना, कांगड़ा और मंडी जिलों के बैंक अधिकारियों से भी इस मामले में पूछताछ की जा रही है।
बैंक लोन से खरीदी जमीन, प्लॉट काटकर बेचे
जांच में सामने आया है कि आरोपी ने बैंक लोन की राशि से मंडी जिले में जमीन खरीदी और उसे प्लॉट बनाकर बेच दिया। इसके अलावा, उसने लोन की राशि अन्य कार्यों में भी लगाई।
फर्जी Utilization Certificate से लिया लोन
विजिलेंस ने खुलासा किया है कि आरोपी ने फर्जी Utilization Certificate तैयार कर पांच करोड़ रुपये की अगली किस्त प्राप्त कर ली। यह दस्तावेज कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड (KCCB) में प्रस्तुत किया गया था।
बैंक अधिकारियों ने प्रोजेक्ट की नहीं की जांच
लोन की पहली किस्त जारी होने के बाद, बैंक अधिकारियों ने मौके पर जाकर प्रोजेक्ट का निरीक्षण नहीं किया। इस लापरवाही के कारण करोड़ों रुपये के लोन की हेराफेरी संभव हुई। अब विजिलेंस बैंक रिकॉर्ड खंगाल रही है और इसमें कई अहम सुराग मिले हैं।
होटल प्रोजेक्ट के नाम पर करोड़ों का घोटाला
इस घोटाले में Himalaya Snow Village और Hotel Lake Palace के मालिक युद्ध चंद बैंस से पूछताछ की जा रही है। आरोप है कि होटल प्रोजेक्ट के नाम पर 20 करोड़ रुपये का लोन लिया गया और इसका गलत इस्तेमाल किया गया।
छह मार्च को होगी अदालत में सुनवाई
बैंक लोन घोटाले की जांच SP वीरेंद्र कालिया को सौंपी गई है। मामले की अगली सुनवाई 6 मार्च को अदालत में होगी। इसके लिए विजिलेंस ने विभिन्न बैंकों के विशेषज्ञों को बुलाया है ताकि जांच को और मजबूत किया जा सके।