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Mukesh Agnihotri: प्रदेश सरकार नहीं लेगी किसी मंदिर से पैसा, गलत धारणा फैलाई जा रही

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हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश सरकार ने मंदिरों के चढ़ावे का कोई पैसा नहीं लिया है और न ही भविष्य में ऐसा कोई इरादा है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग गलत धारणाएं फैलाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।

पमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने स्पष्ट किया कि हिमाचल प्रदेश सरकार किसी भी मंदिर से पैसा नहीं लेगी। उन्होंने कहा कि इस बारे में गलत धारणाएं फैलाई जा रही हैं और जनता को गुमराह किया जा रहा है।

शाही जलेब में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

अंतरराष्ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्सव में रविवार को मध्य शाही जलेब धूमधाम से निकाली गई, जिसमें राजमाधव सहित अन्य देवी-देवताओं की पालकियां सजीं। उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री अपनी बेटी डा. आस्था अग्रिहोत्री के साथ दूसरी शाही जलेब में शामिल हुए और राजमाधव मंदिर में पूजा-अर्चना की।

शिवरात्रि महोत्सव हिमाचल की पहचान

पड्डल मैदान में आयोजित जनसभा में मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि मंडी शिवरात्रि, कुल्लू दशहरा और मिंजर महोत्सव प्रदेश की संस्कृति और आस्था के प्रतीक हैं। इस देवभूमि में देवताओं का समागम हिमाचल को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाता है।

मंदिरों के चढ़ावे के इस्तेमाल के आरोप बेबुनियाद

उन्होंने उन आरोपों का खंडन किया, जिनमें कहा जा रहा था कि प्रदेश सरकार मंदिरों के चढ़ावे का पैसा अपने संचालन में इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार मंदिरों से पैसा न तो लेती है और न ही भविष्य में लेने की कोई योजना है।

मंदिरों के विकास और ब्यास आरती का विस्तार

उन्होंने बताया कि सरकार मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए सरकारी कोष से धनराशि उपलब्ध करवाती है। साथ ही ब्यास आरती को लंबे समय तक जारी रखने और भविष्य में ब्यास आरती घाट बनाने की योजना की भी घोषणा की।

संस्कृति और पर्यटन को बढ़ावा

भाषा विभाग प्रदेश के त्योहारों की तारीखों और कार्यक्रमों की सूची तैयार कर रहा है ताकि स्थानीय कलाकारों को मंच मिल सके। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शिमला में 2000 करोड़ रुपये की लागत से रोप-वे निर्माण किया जा रहा है, वहीं कुल्लू में दो नए रोप-वे भी स्थापित किए जा रहे हैं।

आस्था और पर्यटन का संगम

इससे पहले, मुकेश अग्निहोत्री ने टारना स्थित श्यामाकाली मंदिर, अराध्य बड़ा देव कमरुनाग और भीमाकाली मंदिर में पूजा-अर्चना की।

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