गगरेट में अवैध लकड़ी का जखीरा पकड़ा गया, पंजाब ले जा रहे पांच वाहन जब्त

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हिमाचल प्रदेश के गगरेट में वन विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रतिबंधित लकड़ी से भरे पंजाब जा रहे पांच वाहनों को जब्त किया है। जांच जारी है, आरोपी की पहचान की जा रही है।

वैज्ञानिक तकनीक और निगरानी से बढ़ा मत्स्य उत्पादन

हिमाचल प्रदेश के जलाशयों में वैज्ञानिक तकनीक आधारित मछली बीज डालने की योजना और अवैध शिकार की रोकथाम के लिए फ्लाइंग स्क्वायड द्वारा की जा रही समय-समय पर निगरानी ने बेहतर नतीजे दिए हैं। गोबिंदसागर झील की शिफरी मछलियों पर कोलकाता के विशेषज्ञों से करवाई गई स्टडी रिपोर्ट के आधार पर बीज डालने की रणनीति बनाई गई। इस सुनियोजित प्रक्रिया और प्रॉपर निगरानी से इस साल रिकॉर्ड मत्स्य उत्पादन हुआ है।

 पूरे प्रदेश में 748.76 मीट्रिक टन का रिकॉर्ड उत्पादन

राज्य के विभिन्न जलाशयों से वर्ष 2024-25 में कुल 748.76 मीट्रिक टन मछली उत्पादन दर्ज किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 182.73 मीट्रिक टन अधिक है। यह अब तक का सबसे अधिक उत्पादन है, जो दर्शाता है कि विभाग की योजनाएं और तकनीकी पहल असरदार रही हैं।

गोबिंदसागर और पौंग डैम रहे अग्रणी

पिछले वित्त वर्ष (1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024) में गोबिंदसागर से 191.11 मीट्रिक टन, पौंग डैम से 329.59 मीट्रिक टन, कोलडैम से 6.73 मीट्रिक टन, चमेरा डैम से 3.02 मीट्रिक टन और रणजीत सागर डैम से 35.47 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था।
इस वर्ष गोबिंदसागर में 347.56 मीट्रिक टन, पौंग डैम में 387.53 मीट्रिक टन, कोलडैम में 7.66 मीट्रिक टन, चमेरा डैम में 2.72 मीट्रिक टन और रणजीत सागर डैम में 3.29 मीट्रिक टन मछली पकड़ी गई है।

13.66 करोड़ का हुआ मत्स्य कारोबार

वर्ष 2024-25 में हिमाचल प्रदेश में 1366.27 लाख रुपए यानी 13.66 करोड़ रुपए का मत्स्य कारोबार हुआ है। इसमें सबसे अधिक हिस्सा पौंग डैम (892.90 लाख) और गोबिंदसागर डैम (452.79 लाख) का रहा। इसके अलावा कोलडैम (11.87 लाख), चमेरा (4.37 लाख) और रणजीत सागर (4.34 लाख) में भी कारोबार दर्ज किया गया है।

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