बिलासपुर-मंडी के लोकल “माह” व्यंजन को मिली नई पहचान

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हिमाचल के बिलासपुर और मंडी जिलों की पारंपरिक दाल “माह” को नई पहचान मिल रही है। इस क्षेत्रीय व्यंजन को अब स्थानीय संस्कृति और स्वाद के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है। जानिए इसकी खासियत।

Indigenous Crop Heritage को मिला नया मुकाम

स्वदेशी कृषि विरासत के संरक्षण और उसे National Recognition दिलाने की दिशा में हिमाचल प्रदेश ने एक अहम उपलब्धि हासिल की है। चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के वैज्ञानिकों ने माह (उड़द दाल) की चार किस्मों को भारत सरकार के Protection of Plant Varieties and Farmers’ Rights Authority (PPV&FRA) के तहत Registration दिलाने में सफलता पाई है।

 Bilaspur और Mandi की किस्मों को मिला Recognition

इस पंजीकरण में जिला बिलासपुर की तीन और जिला मंडी की एक किस्म शामिल है:

Bilaspur Varieties:

बंदला माश PTM 9

बंदला माह KSM 12

चनालग माह RDM 11

Mandi Variety:

हुल्लू माह KDM 1

यह Recognition किसानों की मेहनत और विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के Dedicated Efforts का परिणाम है।

 Scientist Dr. Anita Singh की महत्वपूर्ण भूमिका

कृषि विश्वविद्यालय की वैज्ञानिक डा. अनिता सिंह ने इस उपलब्धि में Key Role निभाया। उन्होंने मंडी जिले के हुल्लू और बिलासपुर जिले के बंदला और चनालग गांवों में Awareness Camps आयोजित कर किसानों को Indigenous Varieties के संरक्षण और उनके Rights की जानकारी दी।

 Project Funded by DST – Women Scientist Scheme

यह कार्य भारत सरकार के Department of Science and Technology (DST) द्वारा ‘Women Scientist Scheme-B’ के अंतर्गत एक Special Project के तहत किया गया।

Project Title था:

“Collection, Multiplication, Documentation, Cataloguing and Registration of Farmer’s Varieties of Rajmash, Kala Chana and Kuttu in Himachal Pradesh”.

Registration Benefits: Better Branding & Income

इन किस्मों को Registration मिलने से किसानों को निम्न लाभ होंगे:

Better Branding और Attractive Packaging

National Market में मिलेगी नई पहचान

किसानों की Income में वृद्धि की संभावना

ये किस्में अपने flavor, aroma, color, shape और high nutritional value के लिए जानी जाती हैं।

 Vice-Chancellor ने दी बधाई

कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नवीन कुमार ने डा. अनिता सिंह और उनकी टीम को इस Scientific Achievement के लिए बधाई दी। उन्होंने उनकी leadership और dedication की सराहना की।

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