कांगड़ा में फैला पार्वो वायरस: कौन है खतरे में, कैसे करें बचाव?

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हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में पार्वो वायरस के मामले सामने आए हैं। जानिए यह संक्रमण किसे प्रभावित करता है, इसके लक्षण क्या हैं और इससे बचाव के उपाय क्या हैं।

कांगड़ा में फैल रहा है पार्वो वायरस, कुत्तों की बढ़ी चिंता

कांगड़ा जिले के कई विधानसभा क्षेत्रों में पार्वो वायरस का संक्रमण कुत्तों में तेजी से फैल रहा है। खासकर लावारिस कुत्ते इस संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं, जिनका इलाज करवाने वाला कोई नहीं है। पालतु कुत्तों का इलाज तो उनके मालिक करवा रहे हैं, लेकिन प्रशासन के पास लावारिस जानवरों के इलाज के लिए कोई स्पष्ट योजना नहीं है। सरकार की ओर से न दवाइयों की आपूर्ति हो रही है और न ही रोकथाम के इंतजाम।

 पालतुओं को रखें सुरक्षित, यह वायरस जानलेवा साबित हो सकता है

अगर आप कुत्ते पालते हैं तो सतर्क हो जाइए, क्योंकि यह वायरस कुत्तों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहा है। समय पर इलाज न मिलने पर यह बीमारी जानलेवा हो सकती है। यह संक्रमण खासतौर पर पपीज यानी छोटे कुत्तों में अधिक तेजी से फैल रहा है।

 मौसम में बदलाव बन रहा संक्रमण का कारण

पशु चिकित्सकों के अनुसार, मौसम में हो रहे उतार-चढ़ाव के चलते पार्वो वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। कांगड़ा जिले के पशु चिकित्सालयों में प्रतिदिन 100 से 125 कुत्तों का इलाज किया जा रहा है। इस बीमारी में कुत्ते अधिक पानी पीते हैं, मुंह से झाग निकलते हैं और बदबूदार दस्त होते हैं। यह सभी लक्षण पार्वो वायरस की पहचान हैं।

बचाव का सबसे असरदार तरीका: टीकाकरण

इस बीमारी से बचाव का सबसे कारगर उपाय वैक्सीनेशन है। पशु औषधि योजक हितेन धीमान ने बताया कि यह वायरस विशेष रूप से डेढ़ से दो महीने के पपीज में फैलता है। इस बार मौसम की परिस्थितियाँ वायरस के लिए अनुकूल बन गई हैं, जिससे इसका असर अधिक दिखाई दे रहा है।

लक्षण पहचानें और समय पर इलाज करवाएं

पार्वो वायरस की पहचान उसके लक्षणों से की जा सकती है, जैसे उल्टी, दस्त, अत्यधिक पानी पीना, कुत्तों का ठंड में दुबक कर बैठना, छींक आना और मुंह से झाग निकलना। समय पर इलाज न होने पर यह लक्षण गंभीर हो सकते हैं।

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