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गैर-वनभूमि में पीढ़ियों से रह रहे लोगों को भी मिलेगी जमीन

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राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश में जिन लोगों के पास देश में कहीं भी भूमि उपलब्ध नहीं है और वह वर्षों से सरकारी भूमि में घर बनाकर रह रहे हैं, वे अब सरकार की शहरों में दो बिस्वा व ग्रामीण में तीन बिस्वा स्कीम के तहत आवेदन कर सकेंगे।

हिमाचल सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए गैर-वनभूमि पर पीढ़ियों से रह रहे लोगों को भी दो-तीन बिस्वा स्कीम में शामिल करने की घोषणा की है। अब ऐसे परिवारों को भी जमीन के अधिकार मिल सकेंगे, जो लंबे समय से वहां निवास कर रहे हैं।

पीढ़ियों से रह रहे लोगों को मिलेगा मालिकाना हक़

अब हिमाचल प्रदेश में जो लोग गैर-वन भूमि पर कई पीढ़ियों से रह रहे हैं, उन्हें भी संबंधित जमीन का मालिकाना हक मिल सकेगा। सरकार ऐसे लोगों को दो बिस्वा (शहरी क्षेत्र) व तीन बिस्वा (ग्रामीण क्षेत्र) स्कीम में शामिल करेगी।

एफआरए की तर्ज पर मिलेगी राहत

वन अधिकार अधिनियम 2006 (FRA) की तर्ज पर प्रदेश सरकार ने गैर-वन भूमि पर वर्षों से रहने वालों को राहत देने की पहल की है। केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2006 में बनाए गए प्रावधानों को अब राज्य में लागू किया जाएगा।

राजस्व मंत्री ने दिए स्पष्ट निर्देश

राजस्व एवं जनजातीय विकास मंत्री जगत सिंह नेगी ने इस संबंध में अधिकारियों को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि जिन लोगों के पास देश में कहीं भी भूमि नहीं है और जो लंबे समय से सरकारी जमीन पर रह रहे हैं, वे इस स्कीम के तहत आवेदन कर सकेंगे।

उपायुक्तों को दिए गए निर्देश

प्रदेश के सभी उपायुक्तों को ऐसे मामलों में संबंधित भूमि ही अलॉट करने के आदेश दिए गए हैं। सरकार चाहती है कि पात्र लोगों को जल्द से जल्द इस योजना का लाभ मिले।

अब तक हिमाचल प्रदेश रहा पीछे

जहां देश के अन्य राज्यों ने एफआरए के प्रावधानों का भरपूर लाभ उठाया, वहीं हिमाचल प्रदेश अब तक पिछड़ा रहा है। अब सरकार ने वर्ष 2006 व 2010 के संशोधनों को प्रभावी रूप से लागू करने का निर्णय लिया है।

लोगों को मिलेगा स्थायित्व और सम्मान

इस फैसले से हजारों परिवारों को स्थायित्व और जमीन का अधिकार मिलेगा, जो लंबे समय से सरकारी भूमि पर रह रहे हैं लेकिन मालिकाना हक से वंचित थे।

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