सरकार ने कम छात्रों वाले सरकारी स्कूलों का डेटा एक बार फिर नए सिरे से मांगा है। जानिए किन कारणों से यह कदम उठाया गया और इसका क्या असर पड़ सकता है शिक्षा व्यवस्था पर।
स्कूल मर्ज करने की तैयारी तेज
हिमाचल प्रदेश में कम छात्र संख्या वाले सरकारी स्कूलों को मर्ज करने की प्रक्रिया लगभग तय हो गई है। स्कूल शिक्षा निदेशालय ने सभी जिलों को निर्देश जारी कर नए सिरे से डाटा मांगा है, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके।
स्कूलों के लिए अलग-अलग जानकारी का फॉर्मेट जारी
डायरेक्टोरेट ने प्राइमरी, मिडल, हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के लिए अलग-अलग फॉर्मेट में जानकारी भरने के निर्देश दिए हैं। छात्र संख्या के आधार पर तय होगा कि कौन-से स्कूल मर्ज होंगे और किन्हें डाउनग्रेड किया जाएगा।
तय सीमा से कम नामांकन वाले स्कूल होंगे मर्ज
प्राइमरी स्कूलों में यदि छात्रों की संख्या पांच से कम है और मिडल स्कूलों में दस से कम, तो उन्हें मर्ज किया जाएगा। यह डाटा 21 अप्रैल 2025 की स्थिति के आधार पर मांगा गया है।
सीनियर सेकेंडरी स्कूलों पर विशेष निर्णय
सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को लेकर तय किया गया है कि मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद इन्हें हाई स्कूल में बदला जाएगा। इसके लिए अलग से कैबिनेट स्तर पर फैसला लिया गया है।
भौगोलिक स्थिति और संसाधनों की जानकारी भी अनिवार्य
कम नामांकन वाले स्कूलों से जुड़े स्टाफ पदों, नजदीकी स्कूलों की दूरी और भौगोलिक समस्याओं की जानकारी भी मांगी गई है। यह डाटा डिप्टी डायरेक्टर्स को 25 अप्रैल 2025 तक भेजना होगा।
तय तारीख के बाद हुए एडमिशन नहीं माने जाएंगे
निर्देश में स्पष्ट किया गया है कि 21 अप्रैल के बाद हुए किसी भी प्रवेश को डाटा में शामिल नहीं किया जाएगा। इसी आधार पर स्कूलों को मर्ज या डाउनग्रेड करने का निर्णय लिया जाएगा।
पहले भी बंद हुए थे 700 से ज्यादा स्कूल
यह कोई नया कदम नहीं है। इससे पहले राज्य सरकार ने पिछले साल कम और शून्य नामांकन वाले 700 से अधिक स्कूलों को बंद किया था।
शहरी क्षेत्रों में ब्वॉयज और गर्ल्स स्कूल होंगे एक
कैबिनेट ने शहरी क्षेत्रों में अलग-अलग चल रहे ब्वॉयज और गर्ल्स स्कूलों को मर्ज करने का भी निर्णय लिया है। पहले चरण में छह ऐसे स्कूलों को एकीकृत किया गया है, जिनकी सीमाएं आपस में मिलती थीं।