1972 में हुए शिमला समझौते का उद्देश्य भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को सामान्य बनाना था, लेकिन इसके बाद भी दोनों देशों के बीच कई बार युद्ध और तनावपूर्ण हालात बने, जिससे इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठने लगे हैं।
पहलवान आतंकी हमले के बाद सिंधु जल समझौता होल्ड, पाकिस्तान ने शिमला समझौते को किया खारिज
हालिया पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा सिंधु जल संधि को होल्ड पर रखने का निर्णय लिया गया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने 1972 के शिमला समझौते को मानने से इनकार कर दिया है।
1972 में हुआ था ऐतिहासिक शिमला समझौता
शिमला समझौता 2 जुलाई, 1972 को शिमला स्थित बर्नेस कोर्ट भवन (अब राजभवन) में हुआ था। इसे भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षरित किया था। यह समझौता 1971 की युद्ध में पाकिस्तान की हार के बाद हुआ था।
समझौते का मकसद था रिश्तों में सुधार
शिमला समझौते का उद्देश्य था कि दोनों देश अपने संबंधों को सामान्य करें और क्षेत्रीय शांति व विकास के लिए मिलकर काम करें। लेकिन व्यवहार में यह उद्देश्य कभी पूर्ण रूप से साकार नहीं हो पाया।
समझौते के बावजूद कई बार हुआ युद्ध
समझौते के बाद भी भारत और पाकिस्तान के बीच 1984 में सीमित युद्ध हुआ, जिसे ऑपरेशन मेघदूत कहा गया। इसमें भारत ने सियाचिन ग्लेशियर को अपने नियंत्रण में ले लिया। इसके बाद 1999 में कारगिल युद्ध हुआ, जिसमें पाकिस्तान को फिर हार का सामना करना पड़ा।
LOC का पालन भी समझौते का हिस्सा था
शिमला समझौते के अंतर्गत यह सहमति बनी थी कि दोनों देश सीमा रेखाओं में बदलाव की बजाय लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) का पालन करेंगे। इस समझौते के तहत भारत ने युद्ध में जीता गया अधिकांश क्षेत्र पाकिस्तान को लौटा दिया था, केवल कुछ रणनीतिक स्थानों को अपने पास रखा।
अब पाकिस्तान ने खुद को समझौते से अलग किया
अब पाकिस्तान ने खुद को इस समझौते से अलग करते हुए इसके प्रभाव को नकार दिया है, जिससे यह साफ हो गया है कि शिमला समझौता अब सिर्फ दस्तावेजों तक सीमित रह गया है।