जिस नए घर से जनवरी में बहन की डोली उठनी थी, वहां से निकली शहीद भाई की अर्थी।

जिस नए घर से जनवरी में बहन की डोली उठनी थी, वहां से निकली शहीद भाई की अर्थी।

इस भावनात्मक कहानी में एक नए घर की खुशियों की तैयारी है, जहां जनवरी में बहन की शादी की डोली उठनी थी। लेकिन अचानक सब कुछ बदल जाता है जब वहां से शहीद भाई की अर्थी निकलती है। यह घटना न केवल परिवार के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक गहरा आघात है, जो शहादत और बलिदान की भावना को उजागर करती है।

जोगिंद्रनगर के पीपली पंचायत के पोहल गांव में सोमवार शाम को शहीद विनय का शव घर पहुंचा। जिस नए घर से जनवरी में बहन की डोली उठनी थी, वहीं से विनय की अर्थी निकली। गांव के हर व्यक्ति की आंखों में आंसू थे, जबकि विनय की मां बेसुध थीं।

विनय अपने पिता का सहारा था और अब वह अपनी तीन बहनों और एक भाई से बिछड़ गया है। पूरा क्षेत्र विनय की अंतिम यात्रा में शामिल हुआ। वहीं, विनय का भाई अनिल कुमार, जो 3 डोगरा रेजिमेंट में अग्निवीर है और सिक्किम में देश सेवा कर रहा है, अपने भाई की इस यात्रा में शामिल नहीं हो सका। सबसे छोटी बहन नेहा ने अपने भाई को मुखाग्नि दी। इस अवसर पर 20 डोगरा के जवानों ने शहीद को सलामी दी।

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