कहने को स्मार्ट सिटी, पर स्मार्टनेस तो नदारद

कहने को स्मार्ट सिटी, पर स्मार्टनेस तो है ही नहीं

हाल ही में कई शहरों को “स्मार्ट सिटी” का दर्जा दिया गया है, लेकिन वास्तविकता यह है कि इन शहरों में स्मार्टनेस की कमी साफ नजर आती है। बुनियादी सुविधाओं की घातक कमी, ट्रैफिक जाम, सफाई की समस्या और अव्यवस्थित विकास ने इस स्मार्ट सिटी की अवधारणा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

नागरिक सुविधाएं, जैसे कि सार्वजनिक परिवहन, हरित क्षेत्रों की कमी और स्मार्ट टेक्नोलॉजी का अभाव, इन शहरों की पहचान को धूमिल कर रहे हैं। ऐसे में, यह सवाल उठता है कि क्या वास्तव में ये शहर स्मार्ट हैं या केवल नाम के लिए इस उपाधि से नवाजे गए हैं?

जब आप ‘स्मार्ट सिटी धर्मशाला’ का नाम सुनते हैं, तो शायद आपके मन में यह धारणा बनती है कि यहां की सुविधाएं बेहतरीन और आकर्षक होंगी। आप सोचते होंगे कि यह शहर हर दृष्टि से विकसित है, जहां हर चीज को सावधानीपूर्वक डिज़ाइन किया गया है और ध्यान से सजाया गया है।

हालांकि, वास्तविकता कुछ और ही है। सुविधाओं में कमी, अव्यवस्थित विकास और बुनियादी सेवाओं की अनुपलब्धता ने इस स्मार्ट सिटी के नाम को संदेह में डाल दिया है। यह जरूरी है कि धर्मशाला की विकास योजनाओं पर गंभीरता से ध्यान दिया जाए, ताकि इसे सचमुच एक स्मार्ट सिटी के रूप में स्थापित किया जा सके।

स्थानीय प्रशासन को इस दिशा में गंभीरता से कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि स्मार्ट सिटी के वादे को पूरा किया जा सके और नागरिकों को बेहतर जीवन सुविधाएं प्रदान की जा सकें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *