हिमाचल प्रदेश के चिड़ियाघरों में जानवरों को गोद लेने की प्रक्रिया धीमी हो गई है। वन्य प्राणी विभाग ने करीब दो साल पहले जंगली जानवरों को गोद लेने की मुहिम शुरू की थी, लेकिन अब तक केवल 12 जानवरों को ही गोद लिया गया है। इनमें से भी कई अनुबंध समाप्त हो गए हैं, और पहले के पालकों ने उन्हें दोहराने का कोई प्रयास नहीं किया है। वर्तमान में चिड़ियाघरों में गोद लिए गए सभी जानवरों के अनुबंध जून 2024 में खत्म हो चुके हैं।
हालिया गोद लेने का मामला
हाल ही में कांगड़ा के संसारपुर टैरेस के एक उद्योग ने कुफरी चिड़ियाघर में एक हिमालयन थार को गोद लिया है, जिसके लिए 25 हजार रुपये का भुगतान किया गया है। यह अनुबंध अगस्त 2025 तक जारी रहेगा, और इसके बाद दोबारा 25 हजार रुपये चुकाने होंगे।
गोद लेने की प्रक्रिया और नियम
जानवरों को गोद लेने की प्रक्रिया 2 अक्टूबर 2022 को शुरू की गई थी। वन्य प्राणी विभाग के अनुसार, कोई भी व्यक्ति एक साल के लिए जू में मौजूद जानवरों को गोद ले सकता है। जानवरों को चार श्रेणियों में बांटा गया है, जिनमें सबसे महंगे जानवरों में शेर और बर्फानी तेंदुआ शामिल हैं, जिनकी गोद लेने की कीमत 60 हजार से दो लाख रुपये तक है।
आयकर में छूट और अन्य लाभ
जंगली जानवरों को गोद लेने वालों को आयकर में छूट दी गई है। पहले श्रेणी के जानवरों को गोद लेने पर पालकों को कई लाभ जैसे कंप्लीमेंटरी पास, प्रमाण पत्र, और नेम प्लेट की सुविधा दी जाएगी।
हिमाचल में जंगली जीवों की स्थिति
हिमाचल प्रदेश में आठ हजार से अधिक जंगली जानवर हैं, जिनमें 70 प्रतिशत प्रजातियां और 30 प्रतिशत पक्षी शामिल हैं। वन्य प्राणी विभाग के पास 26 वाइल्ड सेंक्चुरी और पांच रिजर्व पार्क हैं, जो 8300 स्क्वायर किलोमीटर में फैले हैं।