रतन टाटा: शिमला के बिशप कॉटन स्कूल के छात्र, जहां भी कदम रखा, वहीं सफलता पाई

रतन टाटा: शिमला के बिशप कॉटन स्कूल के छात्र, जहां भी कदम रखा, वहीं सफलता पाई

रतन टाटा, टाटा संस के मानद अध्यक्ष, केवल एक उद्योगपति नहीं, बल्कि एक प्रभावशाली समाज सेवक और परोपकारी भी हैं। उनके नेतृत्व में टाटा समूह का राजस्व 40 गुना और लाभ 50 गुना बढ़ा। 1937 में मुंबई में जन्मे रतन टाटा का पालन-पोषण उनकी दादी ने किया। उन्होंने अपनी शिक्षा मुंबई और न्यूयॉर्क में प्राप्त की, और कॉर्नेल विश्वविद्यालय से वास्तुकला में स्नातक किया।

रतन टाटा ने 1970 के दशक में टाटा समूह में प्रबंधन की शुरुआत की, जहां उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया। उनके कार्यकाल में सहायक कंपनियों के संचालन को सुव्यवस्थित किया गया और नवाचार को बढ़ावा दिया गया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने विभिन्न प्रमुख अधिग्रहण किए, जैसे टाटा टी का टेटली से और टाटा मोटर्स का जगुआर लैंड रोवर से। उन्होंने टाटा नैनो का विकास किया, जो आम भारतीय के लिए सस्ती कार बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

2012 में, उन्होंने 75 वर्ष की आयु में अपनी कार्यकारी शक्तियों से इस्तीफा दिया, लेकिन उत्तराधिकारी को लेकर विवाद उठे। 2016 में साइरस मिस्त्री को हटाने के बाद, नटराजन चंद्रशेखरन को अध्यक्ष बनाया गया। रतन टाटा ने विभिन्न स्टार्टअप्स में भी निवेश किया और शिक्षा, चिकित्सा, और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में योगदान दिया। उन्हें भारत में एक प्रमुख परोपकारी व्यक्ति माना जाता है।

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