देश में 2021 की जनगणना अब 2024 में भी पेंडिंग है। केंद्र सरकार द्वारा अक्तूबर 2024 में जनगणना कार्य शुरू किए जाने की उम्मीद जताई गई थी, लेकिन अब तक पूरी प्रक्रिया में कोई प्रगति नहीं हुई है। कोविड-19 के बाद से यह प्रक्रिया रुकी हुई है, और अब तक केंद्र ने कोई कदम नहीं उठाए हैं।
2024 के लोकसभा चुनावों के तुरंत बाद जनगणना कराने की चर्चा भी धरातल पर दम तोड़ चुकी है। इससे बड़ा सवाल यह उठता है कि विकास योजनाएं कैसे वास्तविकता में उतर पाएंगी। वर्तमान में अधिकांश विकास कार्य 2011 की जनगणना के आधार पर ही तैयार किए जा रहे हैं, जिससे कई योजनाएं असफल होती नजर आ रही हैं।
डायरेक्टोरेट ऑफ सेंसस ऑपरेशन शिमला केंद्रीय स्तर से निर्देशों की प्रतीक्षा कर रहा है। जनगणना से संबंधित विभाग और एजेंसियां भी निष्क्रिय हो गई हैं। कोविड-19 महामारी ने इस प्रक्रिया में बाधा डाली, और अब फिर से सितंबर-अक्तूबर में जनगणना शुरू करने की बात हो रही है, जो 18 महीने तक चलेगी और 2026 में समाप्त हो सकती है।
हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से पेंडिंग कार्यों को आगे बढ़ाने की दिशा में कोई सहमति नहीं दी जा रही है, जिससे जनगणना में हो रही देरी पर अर्थशास्त्रियों और विभिन्न विभागों के अधिकारियों की आलोचना बढ़ रही है। नियमों के अनुसार, भारत में 2021 में जनगणना होनी चाहिए थी, क्योंकि पिछली जनगणना 2011 में कराई गई थी।