हिमाचल सरकार ने दीपावली के ख़ुशनुमा अवसर पर अक्तूबर महीने में न केवल एक बार, बल्कि दो बार कर्मचारियों और पेंशनरों को सैलरी दी, ताकि त्योहारी सीजन में किसी भी तरह की असुविधा न हो। 28 तारीख को वेतन और पेंशन देने का यह अहम निर्णय लिया गया था, ताकि कर्मचारियों को त्योहारों का भरपूर आनंद मिल सके। इसके अलावा, भारत सरकार ने भी दो महीने की किस्तें एक साथ देने का निर्णय लिया था, जिससे राज्य सरकार को वित्तीय राहत मिली थी। अब, सरकार नवंबर महीने की सैलरी का इंतजाम करने में पूरी तरह से व्यस्त हो गई है।
यह लोन खाते में आने के बाद यह स्पष्ट होगा कि नवंबर महीने की सैलरी और पेंशन का भुगतान किस शेड्यूल के अनुसार किया जाएगा। लेकिन असल चुनौती राज्य सरकार के लिए अगले वित्त वर्ष की होगी, क्योंकि इस वर्ष रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में भारी कमी देखने को मिलेगी। इसी कारण, राज्य सरकार अगले वित्तीय वर्ष के बजट का ढांचा भी बदलने की सोच रही है। हिमाचल सरकार को हर महीने वेतन और पेंशन के लिए लगभग 2000 करोड़ रुपए खर्च करने होते हैं, जो एक बड़ी और स्थायी चुनौती है। चूंकि एक साथ इतना बड़ा रकम जुटाना आसान नहीं होता, इसलिए वेतन और पेंशन का शेड्यूल अलग-अलग किया गया है। इसका मुख्य कारण यह है कि सरकार एडवांस लोन पर ब्याज की अदायगी से बचना चाहती है, जो वित्तीय दबाव को और बढ़ा सकता है।