राधास्वामी चैरिटेबल अस्पताल भोटा 1 दिसंबर, 2024 से बंद होने जा रहा है। यह निर्णय प्रदेश सरकार और राधा स्वामी सत्संग ब्यास प्रबंधन के बीच चल रहे विवाद के बाद लिया गया है। अस्पताल को बंद करने का नोटिस भी चिपकाया गया है, जिसमें यह कहा गया है कि कुछ विवश परिस्थितियों के कारण अस्पताल की सेवाएं बंद की जा रही हैं। मरीजों से अनुरोध किया गया है कि वे अपनी सुविधा अनुसार अन्य अस्पतालों से इलाज लें। सोमवार को इस निर्णय के विरोध में लोगों ने जमकर प्रदर्शन किया और नेशनल हाईवे 103 पर चक्का जाम कर दिया। इस दौरान लोग हाईवे पर बैठकर नारेबाजी करने लगे। लगभग 11 बजे राधास्वामी चौक पर महिलाओं और पुरुषों का एक समूह धरना देने पहुंचा और सरकार से अपनी मांगें मानने की बात कहने लगा।
सारा विवाद जमीन ट्रांसफर और जीएसटी से संबंधित है। राधा स्वामी संस्था चाहती है कि अस्पताल की भूमि उसकी सिस्टर ऑर्गेनाइजेशन, महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी के नाम कर दी जाए, ताकि मेडिकल उपकरणों पर लगने वाले जीएसटी से बचा जा सके। संस्था का कहना है कि पिछले 25 वर्षों से अस्पताल बिना लाभ के सेवाएं दे रहा है और दवाइयां भी बाजार से एक चौथाई कीमत पर दी जाती हैं, इसलिए जीएसटी देना अनुचित है। इस मुद्दे पर संस्था कई वर्षों से सरकार से जमीन ट्रांसफर की मांग कर रही है। अब हिमाचल सरकार लैंड सीलिंग एक्ट-1972 में संशोधन करने पर विचार कर रही है।
एसडीएम बड़सर, राजेंद्र गौतम ने कहा कि व्यास प्रबंधन चाहता है कि उन्हें लैंड ट्रांसफर के मुद्दे पर लिखित आश्वासन मिले। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है और उम्मीद है कि सरकार का कोई प्रतिनिधि जल्द ही प्रबंधन से संपर्क कर इस गतिरोध को दूर करेगा।
हालांकि, जिला परिषद सदस्य राजेश कुमार का कहना है कि सरकार ने अभी तक कोई लिखित आश्वासन नहीं दिया है, जिसके कारण ब्यास प्रबंधन ने अस्पताल बंद करने का निर्णय लिया है। क्षेत्रीय लोग इस फैसले से काफी परेशान हैं, क्योंकि अगर अस्पताल बंद होता है, तो हमीरपुर, ऊना और बिलासपुर के कई क्षेत्रों के लोग बड़ी मुश्किलों का सामना करेंगे। अस्पताल में प्रतिदिन 800-900 ओपीडी मरीज आते हैं, और यहां हर महीने 200-300 मुफ्त आंखों के ऑपरेशन भी होते हैं। सरकारी अस्पतालों में जहां अव्यवस्थाएं हैं, वहीं इस अस्पताल की साफ-सफाई और स्टाफ के व्यवहार की सराहना की जाती है।