Himachal News: वघाट यमुना सेतु जल्द शुरू होने की संभावना, हिमाचल-उत्तराखंड सीमा पर बना है पुल

Himachal News: वघाट यमुना सेतु जल्द शुरू होने की संभावना, हिमाचल-उत्तराखंड सीमा पर बना है पुल

हिमाचल-उत्तराखंड सीमा पर यमुना नदी पर भीमावाला नावघाट में बने पुल पर जल्द ही यातायात शुरू होने की उम्मीद है, जो दोनों राज्यों को जोड़ेगा। चार वर्षों से निर्माणाधीन इस योजना का अधिकांश काम पूरा हो चुका है, लेकिन हिमाचल की तरफ एप्रोच रोड के लिए निजी भूमि का अधिग्रहण अब तक नहीं हो सका था। अब हिमाचल सरकार ने इस कार्य के लिए करीब 85 लाख रुपये के बजट का प्रावधान किया है, जिससे भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द ही शुरू हो सकेगी और पुल का उपयोग संभव हो पाएगा।

नवंबर 2021 में उत्तराखंड के विकासनगर के विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने लगभग 44 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले नावघाट पुल का शिलान्यास किया था। पुल का निर्माण पूरा हो चुका है और उत्तराखंड की सीमा में एप्रोच रोड का काम भी संपन्न हो चुका है। हालांकि, हिमाचल की ओर एप्रोच रोड के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया लंबित है, क्योंकि निजी भूमि मालिक अदालत में जा चुके थे। अब हिमाचल सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए 85 लाख रुपये का बजट आवंटित किया है, जिससे इस प्रक्रिया को जल्द पूरा किया जा सकेगा और पुल का यातायात के लिए उपयोग शुरू हो सकेगा।

पांवटा साहिब के विधायक सुखराम चौधरी ने बताया कि प्रदेश सरकार ने एप्रोच रोड के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए 85 लाख रुपये का बजट स्वीकृत कर दिया है। इससे हिमाचल की सीमा में भूमि मालिकों को मुआवजा देने की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी, और इसके बाद एप्रोच रोड का निर्माण कार्य आरंभ होगा। विधायक ने आशा व्यक्त की है कि इसी वर्ष नए पुल से आवाजाही शुरू हो सकेगी।

लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता दलीप सिंह तोमर ने पुष्टि की है कि 85 लाख रुपये की राशि भूमि अधिग्रहण के लिए स्वीकृत हो चुकी है। नावघाट पुल की एप्रोच रोड तैयार करने के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।

उत्तराखंड के विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने बताया कि उत्तराखंड की ओर से अधिकांश काम पूरा हो चुका है, जबकि हिमाचल की ओर भूमि अधिग्रहण में कुछ अड़चनें आ रही हैं। पुल शुरू होने से दोनों क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और विकासनगर बाजार की आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी।

नावघाट पुल के निर्माण से सिरमौर की 14 पंचायतों की विकासनगर के लिए दूरी लगभग 15 किलोमीटर कम हो जाएगी। इस नई दूरी से यातायात सुगम होगा और किसान अपनी नगदी फसलों को आसानी से विकासनगर मंडी तक पहुंचा सकेंगे।

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