हिमाचल प्रदेश सहित देशभर के कई राज्यों में 76,000 से अधिक स्कूलों को मर्ज किया गया है। यह जानकारी हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को हुई चर्चा के दौरान सामने आई, जिसमें मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि सरकार हर बच्चे को शिक्षा का अवसर देगी। जिन इलाकों में सड़क सुविधाएं नहीं हैं, वहां बच्चों के लिए गाड़ियों की व्यवस्था की जाएगी ताकि उन्हें जिला मुख्यालय के स्कूलों में पढ़ने का मौका मिले।
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने इस अवसर पर बताया कि लाहुल स्पीति जैसे दुर्गम इलाकों में शिक्षा की स्थिति विशेष ध्यान की मांग करती है। उन्होंने कहा कि लाहुल स्पीति के स्कूलों में 2,100 बच्चे पंजीकृत हैं, जबकि वहां 750 शिक्षक कार्यरत हैं, जिससे प्रति दो बच्चों के पीछे एक शिक्षक की भी व्यवस्था नहीं बनती। विधायक अनुराधा राणा ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए इस मुद्दे को उठाया और क्षेत्र की विषम परिस्थितियों के कारण बच्चों को स्थानीय स्तर पर सुविधाएं देने की अपील की।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार का उद्देश्य शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाना है, जिसके तहत स्कूलों का मर्जर और शिक्षकों का युक्तिकरण हो रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पिछले एक दशक में सरकारी स्कूलों में 5,13,000 विद्यार्थियों की संख्या में कमी आई है। मर्जर की यह प्रक्रिया सिर्फ हिमाचल प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी इसी प्रकार स्कूलों को मर्ज किया गया है। गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और हरियाणा में हजारों स्कूलों को मर्ज किया गया है।