प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और नाहन के पूर्व विधायक डॉ. राजीव बिंदल ने मंत्री विक्रमादित्य सिंह के खिलाफ दायर मानहानि मुकदमे को हाई कोर्ट से वापस ले लिया है। डॉ. बिंदल ने कोर्ट को बताया कि उनके और प्रतिवादियों के बीच आपसी समझौता हो गया है और उन्होंने कोर्ट के समक्ष लिखित समझौता भी प्रस्तुत किया। इस वक्तव्य के बाद कोर्ट ने मानहानि से संबंधित दीवानी दावे को वापस लेने की अनुमति दे दी। डॉ. बिंदल ने कांग्रेसी नेता विक्रमादित्य सिंह और नाहन विधानसभा क्षेत्र के दो अन्य कांग्रेसी नेताओं, देशराज लबाना और सोमदत्त के खिलाफ मानहानि का दावा करते हुए प्रदेश हाई कोर्ट में मामला दायर किया था।
डॉ. बिंदल ने बताया कि कुछ कांग्रेसी नेताओं ने विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान उनके चरित्र पर आरोप लगाए थे। इसके बाद हाई कोर्ट ने बिंदल के आवेदन पर उनके खिलाफ सोशल मीडिया और अन्य मीडिया के माध्यम से दुष्प्रचार और गलत टिप्पणियों पर रोक लगा दी थी। बिंदल ने कोर्ट में कहा कि उन्होंने छात्र जीवन से लेकर अब तक सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लिया है। वे तीन बार सोलन और नाहन से विधायक चुने गए हैं और एक बार स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं। इसके अलावा, वे देश की विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी सक्रिय रहे हैं और समाज में उनकी अच्छी खासी पहचान है।
डॉ. राजीव बिंदल का मानहानि मुकदमा वापस लेने का निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम है जो आपसी सुलह और समझौते को दर्शाता है। उन्होंने अदालत को बताया कि उनकी ओर से दायर किए गए मामले में अब दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया है, जिससे कानूनी विवाद समाप्त हो गया है। इस मुकदमे में आरोप लगाया गया था कि कांग्रेस नेताओं ने चुनाव प्रचार के दौरान बिंदल की छवि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया। कोर्ट ने पहले बिंदल के अनुरोध पर सोशल मीडिया और अन्य मीडिया प्लेटफार्मों पर दुष्प्रचार और अपमानजनक टिप्पणियों पर रोक लगा दी थी। बिंदल ने अपने लंबे सार्वजनिक जीवन, जिसमें विधायक और स्वास्थ्य मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल शामिल हैं, के दौरान समाज में अपनी प्रतिष्ठा और योगदान को भी रेखांकित किया।