मशरूम की शैल्फ लाइफ बढ़ाने पर ध्यान देने की आवश्यकता

मशरूम की शैल्फ लाइफ बढ़ाने पर ध्यान देने की आवश्यकता

मशरूम की शैल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत है। हाल ही में किए गए अध्ययनों और विशेषज्ञों के सुझावों के अनुसार, मशरूम की ताजगी बनाए रखने और उनकी उपयोगिता को लंबा करने के लिए नवीनतम तकनीकों और सुधारों की आवश्यकता है।

मशरूम की शैल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए ठोस उपायों की तलाश की जा रही है, जिसमें बेहतर पैकेजिंग विधियों, संग्रहण तकनीकों और नवीकरणीय तत्वों का उपयोग शामिल है। यह प्रयास न केवल खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी ताजगी और गुणवत्ता बनाए रखने में मदद करेगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि मशरूम की शैल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए उचित तापमान नियंत्रण, आर्द्रता प्रबंधन और पैकेजिंग में सुधार की आवश्यकता है। इन पहलुओं पर काम करके, हम न केवल मशरूम की ताजगी बढ़ा सकते हैं बल्कि उसके पोषण तत्वों को भी बनाए रख सकते हैं।

मशरूम उद्योग में इन परिवर्तनों के समन्वय के लिए उद्योग जगत और वैज्ञानिक समुदाय को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

सोलन में आयोजित 27वें राष्ट्रीय मशरूम मेले के मौके पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने खुंब अनुसंधान निदेशालय को मशरूम की शैल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए नई तकनीकों पर काम करने के निर्देश दिए। राज्यपाल ने कहा कि यह कदम प्रदेश और देश के किसानों के लिए लाभकारी होगा। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि मशरूम मेला एक दिन का नहीं, बल्कि दो दिन का होना चाहिए, ताकि उत्पादक अपने अनुभव और समस्याएं साझा कर सकें।

राज्यपाल ने बताया कि 1970 से मशरूम उत्पादन में तेजी आई है, और वर्तमान में देश में 3.50 लाख टन मशरूम का उत्पादन हो रहा है। उन्होंने सोलन में मशरूम अनुसंधान निदेशालय की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए, इसके बारे में अधिक जानकारी प्रदान करने के लिए एनएच पर बोर्ड लगाने का सुझाव दिया।

मशरूम मेले में एक लाख रुपए प्रति किलो बिकने वाली कोर्डिसेप्स मिलिट्रेनस (कीड़ा जड़ी) मशरूम ने आकर्षण का मुख्य केंद्र बनी। इस औषधीय गुणों से भरपूर मशरूम के अलावा, टर्की टेल और आर्टिफिशियल गुच्छी जैसी प्रजातियों की प्रदर्शनी ने भी लोगों का ध्यान खींचा।

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