अब पुराने पुलों की संरचना की निगरानी की जाएगी ताकि उनकी सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित की जा सके। हाल ही में शुरू की गई इस पहल के तहत, सभी पुराने पुलों की नियमित निरीक्षण और परीक्षण किए जाएंगे। इसका उद्देश्य पुलों के ढांचे में किसी भी प्रकार की क्षति या कमी का पता लगाना है, ताकि समय रहते मरम्मत या नवीनीकरण किया जा सके और संभावित दुर्घटनाओं से बचा जा सके। इस निगरानी प्रक्रिया से पुलों की दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी और यातायात की सुरक्षा में सुधार होगा।
वास्तविक समय की निगरानी:
डिजिटल मॉडल के साथ यातायात पैटर्न का मिलान करके, विशेषज्ञों को पुल की स्थिति की वास्तविक समय में निगरानी करने में मदद मिलती है। संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान के बाद, थकान और कंपन की निगरानी के लिए प्रमुख स्थानों पर सेंसर लगाए जाते हैं। यह डेटा पुल की सुरक्षा सुनिश्चित करने और समय के साथ होने वाली क्षति को रोकने में सहायक होता है। यदि आवश्यक हो, तो यातायात प्रवाह और गति में समायोजन किया जा सकता है ताकि पुल की संरचना पर पड़ने वाले तनाव को कम किया जा सके।
व्यावहारिक लाभ:
डा. सुभामोय सेन ने कहा कि उनके दृष्टिकोण से पुलों के महत्वपूर्ण हिस्सों की निगरानी पर ध्यान केंद्रित होता है, जिससे लागत और उपकरण की आवश्यकता में काफी कमी आती है। यह तकनीक पुलों की दीर्घकालिक सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और संभावित दुर्घटनाओं की पूर्ववाणी और रोकथाम में मदद करती है।
इस शोध को प्रतिष्ठित पत्रिका “Structural Health Monitoring” में प्रकाशित किया गया है और यह पुलों की संरचनात्मक स्थिति की निगरानी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है।