क्राइम से जुड़ी जांच को और तेज करने पर जोर

क्राइम से जुड़ी जांच को और तेज करने पर बल

हालिया घटनाओं को देखते हुए, कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने अपराध से जुड़ी जांचों को तेजी से पूरा करने की आवश्यकता पर बल दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर जांच न केवल अपराधियों को पकड़ने में मदद करती है, बल्कि समाज में सुरक्षा की भावना को भी मजबूत करती है।

इस दिशा में, अधिकारियों को प्रभावी योजनाएँ बनाने और संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करने की जरूरत है। साथ ही, आधुनिक तकनीकों का उपयोग, जैसे कि डेटा एनालिटिक्स और फॉरेंसिक विज्ञान, जांच प्रक्रिया को अधिक कुशल बना सकता है।

स्थानीय समुदायों से भी सहयोग की अपेक्षा की जा रही है, ताकि वे पुलिस और जांच एजेंसियों के साथ मिलकर अपराधों की रोकथाम में योगदान दे सकें। इससे न केवल अपराधियों का पता लगाने में मदद मिलेगी, बल्कि समाज में एक सकारात्मक माहौल भी बनेगा।

प्रदेश में क्राइम से जुड़ी जांच को सुदृढ़ करने के लिए निदेशालय फोरेंसिक सेवाएं जुन्गा में एक दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने फोरेंसिक साइंस डिवेलपमेंट बोर्ड की नौवीं बैठक में जिला स्तर पर क्राइम सीन यूनिट्स को मजबूत करने के लिए छह नए यूनिट्स खोलने की मंजूरी दी थी।

राज्य फोरेंसिक लैब की निदेशक डा. मीनाक्षी महाजन ने बताया कि 18 और 19 सितंबर को आयोजित इस कार्यशाला में राज्य विज्ञान प्रयोगशाला जुन्गा, क्षेत्रीय न्यायालिक विज्ञान प्रयोगशाला धर्मशाला, मंडी, और जिला फोरेंसिक इकाइयों के सभी राजपत्रित अधिकारियों ने भाग लिया।

कार्यशाला का फोकस नई कानूनी व्यवस्थाओं और उन अपराधों पर था, जिनमें सात साल या उससे अधिक की सजा होती है। इनमें फोरेंसिक विशेषज्ञों का अपराध स्थल पर निरीक्षण अनिवार्य है। इसके अलावा, महिलाओं और बच्चों से जुड़े हर अपराध में साक्ष्यों को इकट्ठा करना आवश्यक होता है।

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