विश्व फोरेंसिक विज्ञान दिवस के अवसर पर, फोरेंसिक विज्ञान के महत्व को उजागर करना वास्तव में महत्वपूर्ण है। यह न केवल आपराधिक न्याय प्रणाली का एक अभिन्न हिस्सा है, बल्कि समाज की सुरक्षा और न्याय की स्थापना में भी सहायक है। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा नए जिला फोरेंसिक इकाइयों की मंजूरी और कार्यशालाओं का आयोजन एक सकारात्मक कदम है, जो फोरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में पेशेवरों के ज्ञान और कौशल को बढ़ाने में मदद करेगा।
18 और 19 सितंबर को आयोजित कार्यशाला में अपराध स्थल प्रबंधन और एकरूप अपराध दृश्य रिपोर्टिंग पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो कि फोरेंसिक वैज्ञानिकों के लिए अत्यंत आवश्यक कौशल हैं। इसके अलावा, छात्रों को साइबर सुरक्षा और यौन उत्पीड़न जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी देना जागरूकता फैलाने में सहायक है।
इस प्रकार के आयोजन फोरेंसिक विज्ञान के महत्व को समझने में मदद करते हैं और युवाओं को इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। आशा है कि यह उत्सव फोरेंसिक विज्ञान के प्रति लोगों की रुचि को और बढ़ाएगा।
विश्व फोरेंसिक विज्ञान दिवस हर साल 20 सितंबर को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य आपराधिक जांच और राष्ट्रीय सुरक्षा में फोरेंसिक विज्ञान की भूमिका को पहचानना है। यह दिवस 1955 में अंतरराष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान एसोसिएशन द्वारा स्थापित किया गया था।
राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान सप्ताह 15 से 21 सितंबर तक मनाया जाता है, जिसमें विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है ताकि फोरेंसिक पेशेवरों के योगदान को सम्मानित किया जा सके। इस साल, हिमाचल प्रदेश में नए जिला फोरेंसिक इकाइयों की मंजूरी दी गई है, जिससे फोरेंसिक सेवाओं का विस्तार होगा।
18 और 19 सितंबर को जुन्गा में आयोजित कार्यशाला में अपराध स्थल प्रबंधन और अपराध दृश्य रिपोर्टिंग पर चर्चा की गई। 20 सितंबर को, चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ कॉलेज में छात्रों को फोरेंसिक विज्ञान और साइबर सुरक्षा पर व्याख्यान दिया गया, जिसमें यौन उत्पीड़न और नशीली दवाओं के दुरुपयोग जैसे विषयों पर भी जानकारी दी गई।
इस उत्सव के माध्यम से फोरेंसिक विज्ञान के महत्व को उजागर करना, पेशेवरों की क्षमता को बढ़ाना और युवाओं को जागरूक करना है।