हिमाचल प्रदेश में अवैध ढांचों के मुआवजे के मामले में उच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। उच्च न्यायालय ने कहा है कि Comptroller and Auditor General (CAG) इस मुआवजे के मामलों का ऑडिट करेगा।
इस ऑडिट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मुआवजे की राशि का सही ढंग से उपयोग हो रहा है और यह सुनिश्चित करना कि किसी भी प्रकार का धोखाधड़ी या अनियमितता न हो।
राज्य सरकार को भी निर्देश दिए गए हैं कि वह अवैध ढांचों के मामलों में पारदर्शिता बनाए रखें और सभी संबंधित दस्तावेजों को CAG के समक्ष पेश करें।
यह कदम अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई को और मजबूत करने और मुआवजे के वितरण में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब देखना होगा कि इस ऑडिट के परिणाम क्या होते हैं और इससे भविष्य में क्या सुधार होते हैं।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने किरतपुर-नेरचौक फोरलेन पर सरकारी भूमि पर बने अवैध ढांचों के लिए हुए करोड़ों रुपये के मुआवजे का ऑडिट कराने का निर्देश दिया है। यह निर्देश 18 सितंबर को फोरलेन प्रभावित एवं विस्थापित समिति द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान दिया गया, जब कोर्ट ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के जवाब से असंतोष व्यक्त किया।
इस मामले में, किरतपुर से नेरचौक तक सरकारी जमीन पर बने 38 ढांचों के लिए कुल पांच करोड़ रुपये का मुआवजा आवंटित किया गया था। कैग इस ऑडिट के माध्यम से यह सुनिश्चित करेगा कि मुआवजे का वितरण सही ढंग से हुआ है और किसी भी प्रकार की अनियमितताएं नहीं हैं।