वाक्य यह संदेश देता है कि यदि अपने धर्म और सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए आवाज उठाना गलत माना जाता है, तो ऐसे में इसे बार-बार किया जाएगा। यह एक दृढ़ निश्चय को दर्शाता है कि लोग अपने आस्था और संस्कृति के लिए संघर्ष करने के लिए तत्पर हैं, चाहे इसके लिए उन्हें आलोचना का सामना क्यों न करना पड़े। यह विचार लोगों को प्रेरित करता है कि वे अपने विश्वासों के प्रति सच्चे रहें और आवश्यक होने पर अपनी आवाज उठाएं।
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