सरकार ने विभिन्न योजनाओं के तहत स्कॉलरशिप, मुफ्त किताबें, और अन्य शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। इस कदम का उद्देश्य बच्चों को उनके शैक्षणिक लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करना है, ताकि वे अपनी पढ़ाई में सफल हो सकें और भविष्य में बेहतर अवसरों का लाभ उठा सकें।
प्रदेश सरकार ने वंचित वर्गों के बच्चों की शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। डा. वाईएस परमार विद्यार्थी ऋण योजना का शुभारंभ किया गया है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इस योजना के अंतर्गत:
- ब्याज दर: पात्र विद्यार्थियों को सिर्फ 1% ब्याज दर पर शैक्षिक ऋण दिया जाएगा।
- लाभार्थी: वार्षिक आय 4 लाख रुपए से कम वाले परिवारों के मेधावी छात्र।
- ऋण की सीमा: विद्यार्थी 20 लाख रुपए तक का ऋण ले सकते हैं।
- बजट: इस योजना के लिए 200 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है।
पात्रता मानदंड:
- पिछली कक्षा में न्यूनतम 60% अंक।
- पाठ्यक्रम में प्रवेश के समय छात्र की आयु 28 वर्ष से कम होनी चाहिए।
- व्यवसायिक और तकनीकी शिक्षा के पाठ्यक्रमों जैसे इंजीनियरिंग, चिकित्सा, प्रबंधन, नर्सिंग, फार्मेसी आदि के लिए आवेदन किया जा सकता है।
उद्देश्य:
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्पष्ट किया है कि इस योजना का उद्देश्य युवाओं को गुणवत्तापूर्ण और रोजगारपरक शिक्षा प्रदान करना है, ताकि कोई भी विद्यार्थी धन की कमी के कारण उच्च और व्यवसायिक शिक्षा से वंचित न रह सके। जिला स्तर पर उपायुक्त की देखरेख में एक कोष स्थापित किया जाएगा, जिससे प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की देरी से बचा जा सके।